सुबह जब आँख खुली तब खिड़की से देखा की बारिश आ रही थी। रजाई में से निकले बिना ही नौकरानी को चाय लाने के लिए आवाज़ लगादी। आज भारत अपना 68th गणतंत्र दिवस मानाने में मशगूल था और हम इस बहाने मिली एक छुट्टी का आनंद लेने की पूरी तयारी कर चुके थे। पुरे दिन घूमने फिरने और खरीदारी का कार्यक्रम बीबीजी ने एक दिन पहले से ही तय कर रखा था उस पर बारिश का आना, बस मजा ही आ गया। चाय पी के किसी तरह रजाई से निकले और तइयार होना शुरू किया। नहाने में आज मज़ा नहीं आया, गीज़र का पानी निवाया ही था, अगर सर्दी की सुबह गरमा गरम पानी से दस मिनट शावर में ना नहाया जाये तो ज़िन्दगी मैं रखा ही क्या है। खैर हमारे घर पे पहले से ही तय है बारिश मतलब पकोड़ियां, नाश्ता कर के बीबीजी और बच्चेजी को ले के हम पहले खरीदारी को निकले। सारे मॉल और दुकाने तिरंगे से सजी हुई थीं और गणतंत्रता दिवस के अवसर पे कई तरह की छूट भी दे रही थी। पूरा ही माहॊल देश भक्ति से ओत प्रोत लग रहा था। पुरे दिन घूमने फिरने और खरीदारी के बाद बीबीजी और बच्चेजी को शाम को घर छोड़ा और हमने कॉफ़ी हाउस जा के मौसम का आनंद कॉफ़ी के साथ उठाने का फैसला किया। दोस्तों और कॉफ़ी के साथ वक़्त का पता ही नहीं चला और रात हो गयी। रिमझिम तो दिन भर से हो ही रही थी थोड़ी ठण्ड भी बढ़ गयी थी। सभी ने एकमत में घर जाने का फैसला किया। हम सब कॉफ़ी हाउस से निकले और अपने अपने रस्ते हो लिए। मेरे एक दोस्त को ऑटो पकड़ना था तो मैंने कहा मैन रोड तक तुम्हारे साथ चलता हूँ वहां से तुम्हें ऑटो दिलवा के में निकल जाऊंगा।
मैन रोड पे पहुंचे तो रिमझिम से बचने के लिए हम बस स्टॉप की तरफ बढ़े, मगर वहां इन् गरीब भिखारियों ने पहले से ही कब्ज़ा जमा रखा था। शर्म भी नहीं आती इन् लोगों को,रात भर यहाँ सोयेंगे और ठण्ड में कुछ हो गया तो सरकार को दोष देंगे। मैंने उनकी तरफ मुंह कर के कहा जब सरकार ने तुम लोगों के सोने के लिए रैन बसेरे बनवा रखें हैं तो यहाँ क्यों सोते हो? उन में से एक ने कहा - साहब गाँव से मेहनत मजदूरी करने आये हैं और रैन बसेरे वाले बिना आई.डी. के रहने नहीं देते। इतने में उनमें से दूसरा बोल उठा साहब अगर इतने ही कागजात होते तो हमें रैन बसेरे की जरुरत होती क्या?
"रजाई में से निकले बिना ही नौकरानी को चाय लाने के लिए आवाज़ लगादी। " I will like to employ one. What is the pay and terms
ReplyDeletePachisia